क्यु मुझे आती है उसी कि याद,
जिसे भुलाना चाहता हु.
दो पल बिताये नही जिसके साथ ,
पुरा जीवन बिताना चाहता  हु.
समझदार तो वो भी थी फ़िर,
क्यु समझ ना पायी  मेरे इरादो को.
नादान था मे नादानिया कर  बेठा था ,
रेगिस्तान की रेत को पानी समझ बैठा || 

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